भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर और माइकल क्रेमर को अर्थशास्त्र का नोबेल
अभिजीत बनर्जी से पहले 1998 में अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र का नोबेल मिला था, 2014 में कैलाश सत्यार्थी को शांति का नोबेल मिला
अर्थशास्त्र क्षेत्र में नोबेल की घोषणा - The Nobel Prize
अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की घोषणा हो गई है। भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डफ्लो और माइकल क्रेमर को 'वैश्विक गरीबी खत्म करने के प्रयोग' के उनके शोध के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक अभिजीत बनर्जी फिलहाल मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। वह और उनकी पत्नी डफ्लो अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी ऐक्शन लैब के सह-संस्थापक भी हैं।
अभिजीत बनर्जी ने 1981 में कोलकाता यूनिवर्सिटी से बीएससी किया था, जबकि 1983 में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) दिल्ली से एमए किया था। इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से 1988 में पीएचडी की।
बता दें कि इससे पहले शांति का नोबेल पुरस्कार की घोषणा की गई थी। इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद को शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया। यह पुरस्कार उनके देश के चिर शत्रु इरिट्रिया के साथ संघर्ष को सुलझाने के लिए दिया गया।
नोबेल पुरस्कार जूरी ने बताया अबी को शांति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करने के प्रयासों के लिए और विशेष रूप से पड़ोसी इरिट्रिया के साथ सीमा संघर्ष को सुलझाने के निर्णायक पहल के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
सत्ता संभालने के बाद से, अहमद ने राजनीति में महिलाओं की भूमिका में बढ़ोतरी करने की पहल की। उन्होंने सरकार में अपने देश के 20 मंत्री पदों में से आधे पदों पर महिलाओं को नियुक्त किया, जिसमें देश की पहली महिला रक्षा मंत्री भी शामिल थीं।
कलकत्ता में जन्मे बनर्जी अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के अपने प्रमुख वादे ‘न्याय योजना’ के लिए अभिजीत बनर्जी से सलाह ली थी
बनर्जी के साथ उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकल क्रेमर को भी अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए चुना गया
अभिजीत बनर्जी से पहले 1998 में अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र का नोबेल मिला था, 2014 में कैलाश सत्यार्थी को शांति का नोबेल मिला
भारत में जन्मे और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी को 2019 के अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए चुना गया है। उनके साथ एमआईटी में ही प्रोफेसर अभिजीत की पत्नी एस्थर डुफ्लो और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर माइकल क्रेमर को भी इस सम्मान के लिए चुना गया है। 21 साल बाद किसी भारतवंशी को अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए चुना गया। अभिजीत से पहले हार्वर्ड यूनिवर्सिटीमें अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अमर्त्य सेन को 1998 में यह सम्मान दिया गया था।
अभिजीत, एस्थर और माइकल क्रेमर को वैश्विक गरीबी कम किए जाने के प्रयासों के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल दिया जाएगा। अभिजीत ब्यूरो ऑफ द रिसर्च इन इकोनॉमिक एनालिसिस ऑफ डेवलपमेंट के पूर्व प्रेसिडेंट हैं। वे सेंटर फॉर इकोनॉमिक एंड पॉलिसी रिसर्च के फेलो और अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स-साइंसेज एंड द इकोनॉमिक्स सोसाइटी के फेलो भी रह चुके हैं। अमर्त्य सेन को कल्याणकारी अर्थशास्त्र के लिए नोबेल से सम्मानित किया गया था। उन्हें 1999 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने प्रमुख चुनावी वादे "न्याय योजना' के लिए अभिजीत समेत दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों से राय ली थी। इसके तहत तब कांग्रेस अध्यक्ष रहे राहुल गांधी ने वादा किया था कि हर गरीब के खाते में साल में 72 हजार रुपए डाले जाएंगे, यानि 6 हजार रुपए/महीना। योजना गरीबों को मिनिमम इनकम की गारंटी देगी। बनर्जी ने कहा था- 2500-3000 रु. प्रति महीना एक अच्छी शुरुआत हो सकती थी। ऐसा कहते वक्त मैंसालाना आर्थिक प्रतिबद्धताओं को भी ध्यान में रख रहा हूं। मेरा नजरिया यह था कि उन्हें (कांग्रेस) धीरे चलना चाहिए था। ऐसा करने से उन्हें वह सालाना आर्थिक स्थान मिल जाता, जिसकी जरूरत है।
अभिजीत विनायक बनर्जी 21 फरवरी 1961 में कलकत्ता में जन्में थे। यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता, जेएनयू और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़े हैं। उन्होंने 1988 में हार्वर्ड से पीएचडी की थी। अभिजीत की पहली शादी एमआईटी की प्रोफेसर डॉ. अरुंधति बनर्जी से हुई थी। दोनों साथ-साथ कलकत्ता में पले-बढ़े। हालांकि, 1991 में तलाक हो गया। इसके बाद 2015 में अभिजीत ने एस्थर डुफ्लो से शादी की। अभिजीत के साथ नोबेल जीतने वाली एस्थर भी एमआईटी में प्रोफेसर हैं।
नोबेल पुरस्कार की घोषणा के बाद डुफ्लो ने कहा- एक महिला के लिए कामयाब होना और कामयाबी के लिए पहचान बनाना संभव है। मुझे उम्मीद है कि इससे कई अन्य महिलाएं अच्छा काम जारी रखने के लिए और पुरुष उन्हें उचित सम्मान देने के लिए प्रेरित होंगे।
मध्यप्रदेश में विदिशा के रहने वाले कैलाश सत्यार्थी को 2014 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्हें पाकिस्तान की बाल अधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई के साथ संयुक्त रूप से यह पुरस्कार दिया गया था। कैलाश सत्यार्थी बाल अधिकारों के लिए काम करते हैं। 1980 में बच्चों को शिक्षा और स्वास्थ्य उपलब्ध कराने के लिए सत्यार्थी ने बचपन बचाओ आंदोलन नाम का एनजीओ भी शुरु किया था। अब तक वे 144 देशों में 83 हजार बच्चों की मदद कर चुके हैं। वे ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर (बाल श्रम के खिलाफ वैश्विक मार्च) के अध्यक्ष भी हैं।
अभिजीत बनर्जी से पहले 1998 में अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र का नोबेल मिला था, 2014 में कैलाश सत्यार्थी को शांति का नोबेल मिला
- अर्थशास्त्र क्षेत्र में नोबेल की घोषणा
- अर्थशास्त्र का नोबेल
- अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर और माइकल क्रेमर
- The Nobel Prize
- The Nobel Prize 2019
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अर्थशास्त्र क्षेत्र में नोबेल की घोषणा - The Nobel Prize
अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की घोषणा हो गई है। भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर डफ्लो और माइकल क्रेमर को 'वैश्विक गरीबी खत्म करने के प्रयोग' के उनके शोध के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक अभिजीत बनर्जी फिलहाल मैसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। वह और उनकी पत्नी डफ्लो अब्दुल लतीफ जमील पॉवर्टी ऐक्शन लैब के सह-संस्थापक भी हैं।
- Nobel Prize for Economics 2019
- अभिजीत बनर्जी को इकोनॉमिक्स का नोबेल
- 2019 Nobel Prize for Economics
- Abhijit Banerjee, Esther Duflo and Michael Kremer
अभिजीत बनर्जी ने 1981 में कोलकाता यूनिवर्सिटी से बीएससी किया था, जबकि 1983 में जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) दिल्ली से एमए किया था। इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से 1988 में पीएचडी की।
बता दें कि इससे पहले शांति का नोबेल पुरस्कार की घोषणा की गई थी। इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद को शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया। यह पुरस्कार उनके देश के चिर शत्रु इरिट्रिया के साथ संघर्ष को सुलझाने के लिए दिया गया।
नोबेल पुरस्कार जूरी ने बताया अबी को शांति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्राप्त करने के प्रयासों के लिए और विशेष रूप से पड़ोसी इरिट्रिया के साथ सीमा संघर्ष को सुलझाने के निर्णायक पहल के लिए इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
सत्ता संभालने के बाद से, अहमद ने राजनीति में महिलाओं की भूमिका में बढ़ोतरी करने की पहल की। उन्होंने सरकार में अपने देश के 20 मंत्री पदों में से आधे पदों पर महिलाओं को नियुक्त किया, जिसमें देश की पहली महिला रक्षा मंत्री भी शामिल थीं।
- अवॉर्ड
- अभिजीत बनर्जी को इकोनॉमिक्स का नोबेल, 21 साल बाद किसी भारतीय अर्थशास्त्री को यह सम्मान
- 2019 Nobel Prize for Economics: Abhijit Banerjee, Esther Duflo and Michael Kremer
कलकत्ता में जन्मे बनर्जी अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर
कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के अपने प्रमुख वादे ‘न्याय योजना’ के लिए अभिजीत बनर्जी से सलाह ली थी
बनर्जी के साथ उनकी पत्नी एस्थर डुफ्लो और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकल क्रेमर को भी अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए चुना गया
अभिजीत बनर्जी से पहले 1998 में अमर्त्य सेन को अर्थशास्त्र का नोबेल मिला था, 2014 में कैलाश सत्यार्थी को शांति का नोबेल मिला
भारत में जन्मे और मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) में प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी को 2019 के अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए चुना गया है। उनके साथ एमआईटी में ही प्रोफेसर अभिजीत की पत्नी एस्थर डुफ्लो और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर माइकल क्रेमर को भी इस सम्मान के लिए चुना गया है। 21 साल बाद किसी भारतवंशी को अर्थशास्त्र के नोबेल के लिए चुना गया। अभिजीत से पहले हार्वर्ड यूनिवर्सिटीमें अर्थशास्त्र के प्रोफेसर अमर्त्य सेन को 1998 में यह सम्मान दिया गया था।
- अभिजीत, एस्थर और माइकल क्रेमर
अभिजीत, एस्थर और माइकल क्रेमर को वैश्विक गरीबी कम किए जाने के प्रयासों के लिए अर्थशास्त्र का नोबेल दिया जाएगा। अभिजीत ब्यूरो ऑफ द रिसर्च इन इकोनॉमिक एनालिसिस ऑफ डेवलपमेंट के पूर्व प्रेसिडेंट हैं। वे सेंटर फॉर इकोनॉमिक एंड पॉलिसी रिसर्च के फेलो और अमेरिकन एकेडमी ऑफ आर्ट्स-साइंसेज एंड द इकोनॉमिक्स सोसाइटी के फेलो भी रह चुके हैं। अमर्त्य सेन को कल्याणकारी अर्थशास्त्र के लिए नोबेल से सम्मानित किया गया था। उन्हें 1999 में भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया।
- कांग्रेस ने ‘न्याय योजना’ के लिए अभिजीत से सलाह ली थी
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने अपने प्रमुख चुनावी वादे "न्याय योजना' के लिए अभिजीत समेत दुनियाभर के अर्थशास्त्रियों से राय ली थी। इसके तहत तब कांग्रेस अध्यक्ष रहे राहुल गांधी ने वादा किया था कि हर गरीब के खाते में साल में 72 हजार रुपए डाले जाएंगे, यानि 6 हजार रुपए/महीना। योजना गरीबों को मिनिमम इनकम की गारंटी देगी। बनर्जी ने कहा था- 2500-3000 रु. प्रति महीना एक अच्छी शुरुआत हो सकती थी। ऐसा कहते वक्त मैंसालाना आर्थिक प्रतिबद्धताओं को भी ध्यान में रख रहा हूं। मेरा नजरिया यह था कि उन्हें (कांग्रेस) धीरे चलना चाहिए था। ऐसा करने से उन्हें वह सालाना आर्थिक स्थान मिल जाता, जिसकी जरूरत है।
- नोबेल जीतने वाली एस्थर अभिजीत की पत्नी हैं
अभिजीत विनायक बनर्जी 21 फरवरी 1961 में कलकत्ता में जन्में थे। यूनिवर्सिटी ऑफ कलकत्ता, जेएनयू और हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पढ़े हैं। उन्होंने 1988 में हार्वर्ड से पीएचडी की थी। अभिजीत की पहली शादी एमआईटी की प्रोफेसर डॉ. अरुंधति बनर्जी से हुई थी। दोनों साथ-साथ कलकत्ता में पले-बढ़े। हालांकि, 1991 में तलाक हो गया। इसके बाद 2015 में अभिजीत ने एस्थर डुफ्लो से शादी की। अभिजीत के साथ नोबेल जीतने वाली एस्थर भी एमआईटी में प्रोफेसर हैं।
- एस्थर ने कहा- पुरुष महिलाओं को उचित सम्मान देने के लिए प्रेरित होंगे
नोबेल पुरस्कार की घोषणा के बाद डुफ्लो ने कहा- एक महिला के लिए कामयाब होना और कामयाबी के लिए पहचान बनाना संभव है। मुझे उम्मीद है कि इससे कई अन्य महिलाएं अच्छा काम जारी रखने के लिए और पुरुष उन्हें उचित सम्मान देने के लिए प्रेरित होंगे।
- मध्य प्रदेश के कैलाश सत्यार्थी को मिला था शांति का नोबेल
मध्यप्रदेश में विदिशा के रहने वाले कैलाश सत्यार्थी को 2014 में शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्हें पाकिस्तान की बाल अधिकार कार्यकर्ता मलाला यूसुफजई के साथ संयुक्त रूप से यह पुरस्कार दिया गया था। कैलाश सत्यार्थी बाल अधिकारों के लिए काम करते हैं। 1980 में बच्चों को शिक्षा और स्वास्थ्य उपलब्ध कराने के लिए सत्यार्थी ने बचपन बचाओ आंदोलन नाम का एनजीओ भी शुरु किया था। अब तक वे 144 देशों में 83 हजार बच्चों की मदद कर चुके हैं। वे ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर (बाल श्रम के खिलाफ वैश्विक मार्च) के अध्यक्ष भी हैं।
- अर्थशास्त्र क्षेत्र में नोबेल की घोषणा
- अर्थशास्त्र का नोबेल
- अभिजीत बनर्जी, उनकी पत्नी एस्थर और माइकल क्रेमर
- The Nobel Prize
- The Nobel Prize 2019
दोस्तों मैं Shyam Sundar Vais ब्लॉग लिखने का शौकीन हूं मेरी यह Blog आपको कैसी लगी यह कमेंट करके जरूर बताएं अगर कोई सुझाव हो तो कमेंट कर दें अगर कोई त्रुटि हो तो उसे भी कमेंट में बताएं जानकारी अच्छी लगी हो दूसरे को शेयर करने लायक हो तो उसे शेयर भी कर दें और आप हमें अन्य प्लेटफार्म फेसबुक यूट्यूब इंस्टाग्राम पर भी फॉलो कर सकते हैं उम्मीद करता हूं आपको जानकारी अच्छी लगी होगी धन्यवाद
1 Comments
Thanks sir
ReplyDeleteVery helpful
Plz comment