Makar Sankranti 2018 मकर संक्रांति 2018: पूजा व‍िधि, मंत्र, स्‍नान का शुभ मुहूर्त, महत्‍व और मान्‍यताएं


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सूर्य का किसी राशि विशेष पर भ्रमण करना संक्रांति कहलाता है.
सूर्य हर माह में राशि का परिवर्तन करता है,इसलिए कुल मिलाकर वर्ष में बारह संक्रांतियां होती हैं परन्तु दो संक्रांतियां सर्वाधिक महत्वपूर्ण होती हैं-मकर संक्रांति और कर्क संक्रांति.

सूर्य जब मकर राशि में जाता है तब मकर संक्रांति होती है. मकर संक्रांति से अग्नि तत्त्व  की शुरुआत होती है और कर्क संक्रांति से जल तत्त्व की. इस समय सूर्य उत्तरायण होता है अतः इस समय किये गए जप और दान का फल अनंत गुना होता है. इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी.

मकर संक्रांति का ज्योतिष से क्या सम्बन्ध है?
- सूर्य और शनि का सम्बन्ध इस पर्व से होने के कारण यह काफी महत्वपूर्ण है

- कहते हैं इसी त्यौहार पर सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने के लिए आते हैं
- आम तौर पर शुक्र का उदय भी लगभग इसी समय होता है इसलिए यहाँ से शुभ कार्यों की शुरुआत होती है
- अगर कुंडली में सूर्य या शनि की स्थिति ख़राब हो तो इस पर्व पर विशेष तरह की पूजा से उसको ठीक कर सकते हैं
- जहाँ पर परिवार में रोग कलह तथा अशांति हो वहां पर रसोई घर में ग्रहों के विशेष नवान्न से पूजा करके लाभ लिया जा सकता है


सामान्य रूप से मकर संक्रांति को क्या करें?
- पहली होरा में स्नान करें,सूर्य को अर्घ्य दें
- श्रीमदभागवद के एक अध्याय का पाठ करें,या गीता का पाठ करें
- नए अन्न,कम्बल और घी का दान करें
- भोजन में नए अन्न की खिचड़ी बनायें
- भोजन भगवान को समर्पित करके प्रसाद रूप से ग्रहण करें
सूर्य से लाभ पाने के लिए क्या करें?
- लाल फूल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें
- सूर्य के बीज मंत्र का जाप करें
- मंत्र होगा - "ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः"
- लाल वस्त्र ,ताम्बे के बर्तन तथा गेंहू का दान करें
- संध्या काल में अन्न का सेवन न करें


शनि से लाभ पाने के लिए क्या करें?
- तिल और अक्षत डाल कर सूर्य को अर्घ्य दें
- शनि देव के मंत्र का जाप करें
- मंत्र होगा - "ॐ प्रां प्री प्रौं सः शनैश्चराय नमः"
- घी,काला कम्बल और लोहे का दान करें
- दिन में अन्न का सेवन न करें
- पतंग उड़ायें

 Makar Sankranti 2018: दो दिन मनाया जाएगा त्‍योहार, जानें शुभ योग

मकर संक्रांति 2018 में एक शुभ योग बन रहा है। इसके आधार पर दो द‍िन तक इस त्‍योहार को मनाया जाएगा...

मकर संक्रांति 2018
नई द‍िल्‍ली: मकर संक्रांति 2018 का त्‍योहार दो द‍िन मनाया जाएगा - 14 और 15 जनवरी। मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी 2018 को मनेगा लेकिन इसका पुण्यकाल 15 जनवरी 2018 को पड़ रहा है।
ऐसा रहेगा संक्रांति काल

मकर संक्रति का पर्व कुछ जगहों पर 14 जनवरी को और कुछ जगहों पर 15 जनवरी को मनाया जाएगा। जानकार बता रहे हैं कि 14 जनवरी की दोपहर 1:47 बजे सूर्यदेव का प्रवेश मकर राशि में होगा। इसके बाद 15 जनवरी को संक्रांति सुबह 5:11 बजे तक रहेगी। इससे दो दिनों तक संक्रांति का पुण्य काल रहेगा।
मकर संक्रांति के दिन स्नान और दान की परंपरा है। इस दिन कई जगह पितरों को जल में तिल अर्पण भी दिया जाता है।
 मकर संक्रांति 2018: पूजा व‍िधि, मंत्र, स्‍नान का शुभ मुहूर्त, महत्‍व और मान्‍यताएं
मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्‍नान और दान-पुण्य करने का व‍िशेष महत्‍व है. इस द‍िन ख‍िचड़ी का भोग लगाया जाता है. यही नहीं कई जगहों पर तो मृत पूर्वजों की आत्‍मा की शांति के लिए ख‍िचड़ी दान करने का भी व‍िधान है. मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का प्रसाद भी बांटा जाता है.




मकर संक्रांत‍ि के मौके पर पव‍ित्र नद‍ियों में स्‍नान का व‍िशेष महत्‍व है
खास बातें
मकर संक्रांति के द‍िन सूर्य दक्ष‍िणायन से उत्तरायण होते हैं
इस द‍िन तड़के सुबह स्‍नान कर सूर्य उपासना का व‍िशेष महत्‍व है
मकर संक्रांत‍ि के मौके पर ख‍िचड़ी और त‍िल-गुड़ दान देने का व‍िधान है
नई द‍िल्‍ली : हमारे देश में मकर संक्रांति के पर्व का व‍िशेष महत्‍व है, जिसे हर साल जनवरी के महीने में धूमधाम से मनाया जाता है. इस द‍िन सूर्य उत्तरायण होता है यानी कि पृथ्‍वी का उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है. परंपराओं के मुताबिक इस द‍िन सूर्य मकर राश‍ि में प्रवेश करता है. देश के व‍िभिन्‍न राज्‍यों में इस पर्व को अलग-अलग नामों से जाना जाता है. हालांकि प्रत्‍येक राज्‍य में इसे मनाने का तरीका जुदा भले ही हो, लेकिन सब जगह सूर्य की उपासना जरूर की जाती है. लगभग 80 साल पहले उन द‍िनों के पंचांगों के अनुसार मकर संक्रांति 12 या 13 जनवरी को मनाई जाती थी, लेकिन अब व‍िषुवतों के अग्रगमन के चलते इसे 13 या 14 जनवरी को मनाया जाता है. साल 2018 में इसे 14 जनवरी को मनाया जाएगा.


क्‍या है मकर संक्रांति?
सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं. एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है. एक जगह से दूसरी जगह जाने अथवा एक-दूसरे का मिलना ही संक्रांति होती है. हालांकि कुल 12 सूर्य संक्रांति हैं, लेकिन इनमें से मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति प्रमुख हैं.

क्‍यों मनाई जाती है मकर संक्रांति?
सूर्यदेव जब धनु राशि से मकर पर पहुंचते हैं तो मकर संक्रांति मनाई जाती है.  सूर्य के धनु राशि से मकर राशि पर जाने का महत्व इसलिए अधिक है क्‍योंकि इस समय सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है. उत्तरायण देवताओं का दिन माना जाता है. मकर संक्रांति के शुभ मुहूर्त में स्‍नान और दान-पुण्य करने का व‍िशेष महत्‍व है. इस द‍िन ख‍िचड़ी का भोग लगाया जाता है. यही नहीं कई जगहों पर तो मृत पूर्वजों की आत्‍मा की शांति के लिए ख‍िचड़ी दान करने का भी व‍िधान है. मकर संक्रांति पर तिल और गुड़ का प्रसाद भी बांटा जाता है. कई जगहोंं पर पतंगें उड़ाने की भी परंपरा है.

सब तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार, जब सागर में लगता है मिनी कुंभ

मकर संक्रांति का महत्‍व
मकर संक्रांति से सूर्य उत्तरायण होते हैं. उत्तरायण देवताओं का अयन है.एक वर्ष दो अयन के बराबर होता है और एक अयन देवता का एक दिन होता है. 360 अयन देवता का एक वर्ष बन जाता है. सूर्य की स्थिति के अनुसार वर्ष के आधे भाग को अयन कहते हैं. अयन दो होते हैं-. उत्तरायण और दक्षिणायन.  सूर्य के उत्तर दिशा में अयन अर्थात् गमन को उत्तरायण कहा जाता है. इस द‍िन से खरमास समाप्‍त हो जाते हैं. खरमास में मांगल‍िक काम करने की मनाही होती है, लेकिन मकर संक्रांति के साथ ही शादी-ब्‍याह, मुंडन, जनेऊ और नामकरण जैसे शुभ काम शुरू हो जाते हैं. मान्‍यताओं की मानें तो उत्तरायण में मृत्यु होने से मोक्ष प्राप्ति की संभावना रहती है. धार्मिक महत्व के साथ ही इस पर्व को लोग प्रकृति से जोड़कर भी देखते हैं जहां रोशनी और ऊर्जा देने वाले भगवान सूर्य देव की पूजा होती है.

मकर संक्रांं‍ति की पूजा व‍िध‍ि
भविष्यपुराण के अनुसार सूर्य के उत्तरायण के दिन संक्रांति व्रत करना चाहिए.
तिल को पानी में मिलाकार स्नान करना चाहिए. अगर संभव हो तो गंगा स्नान करना चाहिए. इस द‍िन तीर्थ स्थान या पवित्र नदियों में स्नान करने का महत्व अधिक है.
इसके बाद भगवान सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
मकर संक्रांति पर अपने पितरों का ध्यान और उन्हें तर्पण जरूर देना चाहिए.


नए अंदाज़ में इन पकवानों के साथ मनाएं मकर संक्रांति का त्योहार

मंत्र
मकर संक्रांति के दिन स्नान के बाद भगवान सूर्यदेव का स्मरण करना चाहिए. गायत्री मंत्र के अलावा इन मंत्रों से भी पूजा की जा सकती है:
1- ऊं सूर्याय नम: ऊं आदित्याय नम: ऊं सप्तार्चिषे नम:
2-  ऋड्मण्डलाय नम: , ऊं सवित्रे नम: , ऊं वरुणाय नम: , ऊं सप्तसप्त्ये नम: , ऊं मार्तण्डाय नम: , ऊं विष्णवे नम:

शुभ मुहूर्त
साल 2018 में मकर संक्रांति 14 जनवरी 2018, रविवार के दिन मनाई जाएगी.
पुण्य काल मुहूर्त- रात 02:00 बजे से सुबह 05:41 तक
मुहूर्त की अवधि- 3 घंटा 41 मिनट
संक्रांति समय- रात 02:00 बजे
महापुण्य काल मुहूर्त- 02:00 बजे से 02:24 तक
मुहूर्त की अवधि- 23 मिन


 मकर संक्रान्ति हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। इस पर्व को पूरे भारत में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी ये त्योहार मनाया जाता है। इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है। इसलिए इस दिन को मकर संक्रान्ति के रूप में मनाया जाता है| मकर संक्रान्ति के दिन से ही सूर्य की उत्तरायण गति भी प्रारम्भ होती है। इसलिये इस त्यौहार को कहीं-कहीं उत्तरायणी भी कहते हैं। इस साल रविवार, 14 जनवरी को ध्रुव, पारिजात और सर्वार्थसिद्धि योग बनने से इस शुभ पर्व का महत्व और बढ़ गया है।


सूर्य के एक राशि से दूसरी राशि में जाने को ही संक्रांति कहते हैं| एक संक्रांति से दूसरी संक्रांति के बीच का समय ही सौर मास है| वैसे तो सूर्य संक्रांति 12 हैं, लेकिन इनमें से चार संक्रांति महत्वपूर्ण मानी गई हैं। जिनमें मेष, कर्क, तुला, मकर संक्रांति हैं| शास्त्रों के अनुसार, दक्षिणायण को देवताओं की रात यानी नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है और उत्तरायण को देवताओं का दिन यानी सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। एेसा माना जाता है कि इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुण्य के रूप में मिलता है। इस दिन शुद्ध घी और कम्बल का दान करने से भी मोक्ष मिलता ह


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