26जनवरी:- देशभक्ति शायरी
26january, deshbhakti shayri . , Republic day shayri
शीशे का चमन है इनका
कलियां है जवानों में
पत्थर के दरवाजे हैं यहां
शीशे की दुकानों में
बे परदा चले आए हो कश्मीर की वादियों में
क्या आग लगाओगे इस बर्फीली चट्टानों में
आजादी की कभी शाम होने नहीं देंगे
शहीदों की कुर्बानी बदनाम होने नहीं देंगे
बची है जब तक एक बूंद भी लहू की
भारत माता का आंचल नीलाम होने नहीं देंगे
जीते जी चाहो तो वह मंजर भी आएगा
प्यासे के पास चल कर समंदर भी आएगा
थक कर ना बैठ ए मंजिल के मुसाफिर
मंजिल भी मिलेगी और मिलने का मजा भी आएगा
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती
हम सबके जिंदगी में कभी खुशियां तो कभी गम होता है
तालियां वही बजाता है जिनके हाथों में दम होता है
हकीकत समझो या फसाना
अपना समझो या बेगाना
बस फर्ज था मेरा बताना
कि ठंड शुरू हो गई है फिर भी रोज नहाना
चमक उठी सन 57 कि वह तलवार पुरानी थी
दूर फिरंगी को करने की उसने मन में ठानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुंह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी
देश प्रेम का रस पीकर बना हुआ मस्ताना था
हंस कर झूल गया फांसी पर भगत सिंह मस्ताना था
इतनी सी बात हवाओं को बताए रखना
रोशनी होगी चिरागों को जलाए रखना
लहू देकर की है जिसकी हिफाजत हमने
ऐसे तिरंगे को हमेशा दिल में बसाए रखना
जो एक बार गलती करे वह है इंसान
जो दो बार गलती करें वह है नादान
जो तीन बार गलती करें वह है शैतान
लेकिन जो गलती पर गलती करें वह है पाकिस्तान
वतन हमारा मिसाल मोहब्बत की
तोड़ता है दीवार नफरत की
मेरी खुशनसीबी है मिली है जिंदगी इस चमन में
भुला न सके कोई खुशबु इसकी सातो जन्म में
छोड़ो कल की बातें कल की बात पुरानी
नए दौर में लिखेंगे मिलकर नई कहानी ,,
हम हिंदुस्तानी
दे सलामी इस तिरंगे को जिससे तेरी शान है
सिर हमेशा ऊंचा रखना इसका जब तक शरीर में जान है
आओ झुक कर सलाम करें उनको
जिनके हिस्से में ये मुकाम आता है
खुशनसीब हैं वो लोग
जिनका लहू वतन के काम आता है
काले गोरे का भेद नहीं इस दिल से हमारा नाता है
कुछ और न आता हो हमको बस प्यार निभाना आता है
नफरत है बुरी ना पालो इसे
दिल में खाली से निकालो उसे
ना तेरा ना मेरा ना इसका ना उसका
यह सब सबका वतन है बचा लो इसे
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है
देखना है जोर कितना बाजुए कातिल में है
ना मारो बेवफा सनम के लिए
2 गज जमीन न मिलेगी दफन के लिए
मरना हो तो मर जा वतन के लिए तिरंगा भी मिलेगा तेरे कफन के लिए
आए हुए अतिथियों के लिए
आप हर वक्त तैयार करते हैं
आप हर किसी से प्यार करते हैं
आप तो ऐसे मुसाफिर हैं जिनको आने के लिए रास्ते भी इंतजार करते हैं
बचपन को याद करके
कागज की कश्ती थी पानी का किनारा था
खेलने की मस्ती थी यह दिल भी आवारा था
कहां आ गए इस समझदारी के दलदल
में वो नादान बचपन भी कितना प्यारा था
लक्ष्य ना ओझल होने पाए कदम मिलाकर चल
मंजिल तेरी कदम चूमेगी आज नहीं तो कल
आप हमसे दूर जाएंगे कैसे
आप हमें भुला पाएंगे कैसे
हम तो वो खुश्बू है जो आपकी सांसों में बसते हैं
खुद आप अपनी सांसों को रोक पाएंगे कैसे
काश खुशियों की कोई दुकान होती
उसमें मेरी पहचान होती
खुशी आपके लिए जरूर खरीदतो
कीमत चाहे भले ही मेरी जान होती
गीतों में साज होता है रोशनी में ताज होता है
चांद चाहे कितना भी दूर क्यों न हो चांद में भी दाग होता है
जब होती हे प्रभु की कृपा संयोग स्वयं ही जुड़ जाते हैं
अपनों के स्वागत करने के अवसर बस यूं ही मिल जाते हैं
मंजिलें उनको मिलती है जिनके सपनों में जान होती है
सिर्फ पंखों से कुछ नहीं होता छात्रों हौसलों में उड़ान होती है
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